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गंगाजल
यह गंगाजल भारत में, हिन्दी को मान दिलाएगा...
Wednesday, March 18, 2009
सुबह कितनी शुहानी
कल कई सालों के बाद
सुबह जल्दी उठ गया
उगता सूरज देख कर
मन खिल गया।
चिडियों के कलरव
पवन के शीत झोंको
बेफिक्र उड़ते पंछियों ने
मन्दिर की घंटी
दूध वाले के
पों पों
बच्चों की खिलखिलाहट ने
उनकी
अलसाई अंगडाई
माँ के अवधी गीतों
अखबार की खबरों ने
जी को तरोताजा कर दिया.
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खतरों भरा सफर
उदयपुर जिले के आदिवासी बहुल ग्रामीण इलाकों में एक जीप पर 65 से ज्यादा लोग यात्रा करते हैं। यह तस्वीर सच्चाई की बानगी मात्र है।
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