Wednesday, October 24, 2012


तेरी  इस अदा पे •ुरबान,
ये जमीं, आसमां और वो जहां,
खुदा बस्ता है जहां,
और क्या वार दूं
इस मसूमियत पर,
तू बता...?
ये शोख, हसीनों से हंसी,
नशा तेरा,
आंखों से उतरता नहीं।
मंजनूं, फरहात, रांझा सा न सही,
पर  मेरी मुहब्बत,
 इन से •म भी नहीं।
ए• बार इ•रार •र लो तुम
भले दिल रखने •ो
तुम्हारी ए• 'हांÓ
भर देगी रंग •ोरे जीवन में
•ट जाएगी जिंदगी
फिर इस वहम में,
•ी उन•ो भी हम से प्यार था।
- अरुण वर्मा 'अश्•Ó


Saturday, October 13, 2012


ओ... नन्हीं परी,
खुशी •ा चिराग हो तुम,
सारे जहां •ी खुशियां ले•र आई हो।
अपनी ए• मुस्•ान भर से,
जीत लेती हो,
सारी थ•ान, गम-वो-दु:ख।
हमारे जीवन में तुम,
वरदान बन•र आई हो,
ए• झल• देख•र,
दिल में गुदगुदी सी होती है,
ममता हिलोरी लेती है।
तुम्हारे पास आने •ा जी •रता है,
रात दिन हम साथ खेलें,
ऐसा मन •रता है।
तुम्हारे साथ बिताए पल,
जीवन •ी अमोल निधि हैं।
तेरा खूब साथ मिले,
फिर से हम अपना 'बचपनÓ जीएं
ऐसा सोच •े मन पुल•ित है।
स्वस्थ रहो, निरोग रहो
ये 'मांÓमा दुआ •रता है।
...मेरी प्यारी भांजी •ो समर्पित।
अरुण वर्मा, सहाय• संपाद•, राजस्थान पत्रि•ा।