Wednesday, March 18, 2009

सुबह कितनी शुहानी


कल कई सालों के बाद
सुबह जल्दी उठ गया
उगता सूरज देख कर
मन खिल गया।

चिडियों के कलरव
पवन के शीत झोंको
बेफिक्र उड़ते पंछियों ने

मन्दिर की घंटी
दूध वाले के पों पों
बच्चों की खिलखिलाहट ने

उनकी अलसाई अंगडाई
माँ के अवधी गीतों
अखबार की खबरों ने

जी को तरोताजा कर दिया.