Thursday, May 19, 2011

श्रम विभाग के पास अटका मजदूरों का न्याय



कई मामलों में न्यायालय के बाहर ही हो जाते फैसले

- श्रमिको से जुड़े कई मामले लाम्बित

कार्यालय संवाददता। ‘न्याय में देरी, न्याय नहीं देने के बराबर है।’ श्रम विभाग के पास श्रमिको के कई ऐसे मामले पड़े हैं, जिनमें पीडि़त समझौते या फैसले का इंतजार कर रहे हैं। न्यायिका प्रक्रिया में देरी के चलते पीडि़त व उसके परिवार के सदस्यों को कई प्रकार की तकलीफों का सामना करना पड़ता है। उत्पादन भुगतान अधिनियम, वेतन भुगतान अधिनियम, कामगार क्षतिपूर्ति अधिनियम एवं अन्य अनुसूचित नियोजन के तहत जिला श्रम कार्यालय में लगभग २८५ मामले लम्बित हैं। इसी प्रकार ेन्द्रीय श्रम कार्यालय के तहत जिले के तक़रीबन ९० मामले विचाराधीन हैं।

----सिर्फ समझौता करने का अधिकार -

नियोक्ता व मजदूर के बीच विवाद की स्थिति में ·ेन्द्रीय व राज्य श्रम कार्यालय के अधिकारियों को समझौत अधिकरी बनाया गया है इन्हें कुछ न्यायिक अधिकर दिए गए हैं, जिसकी मदद से वह दोनों के बीच सुलह kअरने का प्रयास kअर्ते हैं।

---श्रम विभाग के बाद न्यायालय में-नियोक्ता व श्रमिको के बीच होने वाले किसी भी विवाद की प्रथम सुनवाई श्रम विभाग में होती है। यहां समझौता अधिकरी दोनों के बीच सुलह करने का प्रयास करते हैं। मामला की अपील होने kइ बाद एक साल तक समझौता नहीं होने की स्थिति में अधिकरी असफल वार्ता प्रतिवेदन श्रम आयुक्त को भेजते हैं। इस प्रतिवेदन पर आयुक्त की अध्यक्षता में बनी समिति विचार करती है और इसके पश्चात जरूरी होने पर श्रम न्यायालय में मामला भेज दिया जाता है।

---न्याय के लिए यूं कर सकते हैं आवेदन

- श्रमिक वेतन मिलने, हर्जाना भत्ता, ग्रेच्युटी, दुर्घटना आदि के मामलों में विभिन्न नियमों के तहत श्रम निरीक्षक या वकील के माध्यम से श्रम विभाग में मामला दायर कर सकते हैं।

--इनका कहना है

श्रम विभाग में अधिनियम में दिए दिशा-निर्देशों के आधार पर समझौता करने का प्रयास किया जाता है। इस दौरान दोनों पक्षों की सुनवाई होती है। इसलिए थोड़ा वक्त लगता है। सत्येन्द्रसिंह चौहान, श्रम प्रवर्तन अधिकरी , ·ेन्द्रीय श्रम कार्यालय, उदयपुर

- श्रम विभाग में मामला एक वर्ष से अधिक नहीं रह सकता है। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच समझौता नहीं होने पर मामला मुख्यालय अग्रेसित कर दिया जाता है। सम्पतराज लौहार, श्रम निरीक्षक, जिला श्रम विभाग, राजसमंद।

--अधिनियम मामले उत्पादन भुगतान अधिनियम-

वेतन भुगतान अधिनियम-२५·कामगार क्षतिपूर्ति अधिनियम- २३३

अन्य अनुसूचित नियोजन- २६--·ेन्द्रीय श्रम कार्यालय औद्योगिक विवाद अधिनियम- सामान पाराश्रमिक अधिनियम व न्यूनतम वेतन अधिनियम- ९०