Friday, November 15, 2013

प्यारी-प्यारी जग से न्यारी
मेरी दुलारी सत्वा है।
खूब हंसाती और सताती
मन की रानी सत्वा है।
खुद खाएगी, खुद गायगी,
मन होगा तो बतलायगी,
नखरों से भी नखराली
मेरी प्यारी सत्वा है।
ममा के मन को भाती है,
पापा से हिलमिल जाती है।
दादा-दादी, नाना-नानी की,
आंखों का तारा है।
मामा के शब्दों में आती,
अपना प्यार खूब लुटाती
सब की प्रतिकृति सत्वा है।
सत्वा अब स्कूल जाएगी,
ज्ञान पाएगी, मान पाएगी।
खूब पढ़ेगी, खूब बढ़ेगी,
आवाम की आवाज बनेगी।
सत्वा अब, आगे बढ़ सबको,
सच की राह दिखाएगी,
'सत्यÓ नाम को सार्थक कर
सबका मान बढ़ाऐगी।
मेरी प्यारी भांजी का समर्पित। सत्वा खूब पढ़ो, संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलाओ। मजलूमों की आवाज बनो और दुखियों का सहारा। बढ़े होकर कुछ ऐसा काम करना कि माता-पिता और पूरे परिवार को तुम पर गर्व हो। समाज कहे तुम उसकी प्यारी बेटी हो। तुम अभी तो शायद इन शब्दों के अर्थ नहीं समझ पावो, लेकिन एक दिन आएगा जब तुम इन शब्दों को जीवोगी। मेरा ढेर सारा आशीष। उत्तरोत्तर प्रगति करो।
अरुण कुमार वर्मा, तुम्हारा प्यारा मामा।