ये जिंदगी, यू न कर खेल
नाजो से पले हैं हम
इतनी दुश्वारियां न सह पाएंगे।
तू ऐसे करेगी सितम अगर
बस... समझ ले, शीशे से टूट जाएंगे।
यहां जीने को जरूरी है दुनियादारी
तो ठीक है, पर हम यह न कर पाएंगे।
प्यार और नेकनियती कैसे छोड़ दें
बता दे तू इनको छोड़ेंगे तो न रह पाएंगे
मजबूर मत कर झूठा और मक्कार बनने पर
अगर, बन गए तो कभी शीशा न देख पाएंगे।
फिर तू भी गैर बन के पूछेगी सवाल
याद रख
जवाब, हम न दे पाएंगे।