नही मालूम क्या हुआ है मुझे
हर बार की तरह
फिर भावानाओं ने बाहुपास में जकडा है
मालूम है फिर से तड़प, आंशू और जुदाई होगी
लेकिन दिल है कि सुनने को तैयार नही।
सोचता हूं, मौला ने कर्म फरमाया है या सजा दी है
सब कि तरह मुझ को भी बनाया होता
लोगो से केसे काम निकलना है सिखलाया होता
मुझे में वो सारी बुराई डालता
जो जमाने में जिंदा रहने को जरुरी है।
मुझको भी खुदगर्ज और मौकापरस्त बनाया होता।
मुझको भी सिखलाता थोडी दुनियादारी,
चापलूसी और मक्कारी
ममता, प्यार और नेकनीयती न दी होती।
आँखों में आंशू देता लेकिन मगरमछी
मेरे मौला बड़ी मुश्किल से जी रहा हूं
अपनी इस सराफत पे कुढ़ रहा हूं
मेरे मालिक मुझ को भी शैतान बना
ताकि जिन्दगी के बचे दिन
चैन से काट सकूं..............
Thursday, October 30, 2008
Wednesday, October 22, 2008
अजब सा हाल
जब से उससे मिला हूं
अजब सा हाल है
वो करीब होती है
तो दिल घबराता है
वो दूर होती है
तो चैन नही आता है
उसका ही चेहरा
सोती आँखों में
उसकी छुवन
महसूस होती है हर पल
उसकी मुस्कान
क्यों इतनी दिलकश लगती है
क्यों सिर्फ़ उसको सोचता हूं.....
अजब सा हाल है
वो करीब होती है
तो दिल घबराता है
वो दूर होती है
तो चैन नही आता है
उसका ही चेहरा
सोती आँखों में
उसकी छुवन
महसूस होती है हर पल
उसकी मुस्कान
क्यों इतनी दिलकश लगती है
क्यों सिर्फ़ उसको सोचता हूं.....
Monday, October 6, 2008
दुल्हन बनेगी मेरी गुडिया
दुल्हन बनेगी मेरी गुडिया
पता नही कब बड़ी हो गई.
जैसे अभी कल ही की बात हो
जब हम दोनों गुड्डे गुडियों के खेल खेलते थे
साइकल की सवारी करते
स्कूल जाते, लडाई करते।
वो पढ़ती मै न पढने के बहाने करता
मै पिटता तो, तो उसकी सरारत समझता।
उसकी हाथो में लगी मेहंदी ने
बचपन की सारी यादों को रंग दिया
मेरी आँखों को तरल कर दिया
जानता हूं अब वो दौर खत्म हो गया
अब नए रिश्ते होंगे नई बात होगी
जीवन की नई, अलबेली शुरुवात होगी
इक नई और अनजानी डगर पर
वो अपने जीवन साथी के साथ होगी ।
लेकिन माँ की तरह भाई का दिल भी
ममता से सराबोर है घबराता है, पुलकित है
हर्षित है थोड़ा रुवासा भी है।
पता है ममता ये ज्वार उठाती......
पता नही कब बड़ी हो गई.
जैसे अभी कल ही की बात हो
जब हम दोनों गुड्डे गुडियों के खेल खेलते थे
साइकल की सवारी करते
स्कूल जाते, लडाई करते।
वो पढ़ती मै न पढने के बहाने करता
मै पिटता तो, तो उसकी सरारत समझता।
उसकी हाथो में लगी मेहंदी ने
बचपन की सारी यादों को रंग दिया
मेरी आँखों को तरल कर दिया
जानता हूं अब वो दौर खत्म हो गया
अब नए रिश्ते होंगे नई बात होगी
जीवन की नई, अलबेली शुरुवात होगी
इक नई और अनजानी डगर पर
वो अपने जीवन साथी के साथ होगी ।
लेकिन माँ की तरह भाई का दिल भी
ममता से सराबोर है घबराता है, पुलकित है
हर्षित है थोड़ा रुवासा भी है।
पता है ममता ये ज्वार उठाती......
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