अनजान राहों में फिर से तनहा
चलता जा रहा हूँ, बिन मंजिल के
तुम मिली तो इक पल को लगा
अब भटकना नही पड़ेगा।
लेकिन ये सपना भी टूट गया।
जिन्दगी का इक नया सबक
चुपके से तुमने सिखा दिया
पाने-खोने का सुख और दुःख
जीते और लड़ते रहने का
आगे ही आगे बड़ते रहने का
इक नया पथ दिखला दिया।
1 comment:
पाने-खोने का सुख और दुःख
जीते और लड़ते रहने का
आगे ही आगे बड़ते रहने का
इक नया पथ दिखला दिया।
bahut khoob bhaiya...!!
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