तुम बिन सूनी राखी मेरी
याद कर खुश हो लेता हूँ
वो पुराने दिन
जब तुम राखी के दिन जल्दी तैयार हो जाती।
हम को नीद से जगा कर कहती
जल्दी तैयार हो जावो, हम तैयार होते।
तुम जल्दी से थाली लातीं।
हल्दी और चावल का टिका लगती।
दूब की पंखुड़ियों को कानो पर साजती।
माँ के आँचल सा रुमाल सर पे डालती .
सूनी कलाई पर राखी सजाती ...
रुपयों के लिए तेरे झगड़े
sarart se से मिठाई मुंह में tushna.
hansi majak wo masti yaad aati hai।
अब हर राखी उन बिताये सुनहरे पालो की
याद भर लाती है...
तेरी कागज में लिपटी राखी
tujse दुरी का अह्शाश करती है....
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1 comment:
भावपूर्ण रचना , रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
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