सांवली- सलोनी सी वो
झीलों के देश से
डरती है धूप से कहीं श्याम न हो जाए
श्याम कहीं उसका श्रृंगार हो न जाए।
वो पागल मस्तमौला हर चेहरे पर मुस्कान लाती
अपनी बातो से वो सबका मन छू जाती
आँखों में भरे सपने भावी जीवन के
बनाती मिटाती मिटा कर बनाती
चाहती हर रंग जीवन में भरना
लाल हरे नीले रंगों का संग करना
है अजब वो, पर गजब है उसके अंदाज
नखरों से नही प्यार से है उसका साज
सादगी उसमें बस्ती संस्कारो का श्रृंगार
सीधी वो भोली वो और कुछ खास
है दुआ ये रब दे उसे खुशियाँ अपार
तरक्की कामयाबी से हो जीवन गुलजार।
मेरी
दोस्त मधुलिका से आप भी हो रु-ब-रु।
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4 comments:
क्या बात है!!
बहुत बढ़िया.
तरक्की कामयाबी से हो जीवन गुलजार।
मेरी
दोस्त मधुलिका से आप भी हो रु-ब-रु।
" wah, bhut acchee tareef kee hai aapne"
Regards
nice very good
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