हिंदू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेडिये
अपनी कूर्सी के लिए जज्बात को मत छेडिये
हममें कोई हुण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़न है जो बात उस बात को मत छेडिये
गर गलतियां बाबर की थी, जुम्मन का घर फिर क्यों जले
एसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेडिये
है कहां हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज खां
मिट गए सब कौम की औकात को मत छेडिये
छेडिये इक जंग, मिलजुल कर गरीबी के खिलाफ
दोस्त, मेरे मजहबी नगमात को मत छेडिये।
अदम गोंडवी
6 comments:
वाह!! क्या बात है..
AAJ KE HALAAT MEN EK JARURI GAZAL. SHUKRIYA.
एक अच्छी गजल पढ़वाने के लिए धन्यवाद
गजल की क्लास चल रही है आप भी शिरकत कीजिये www.subeerin.blogspot.com
वीनस केसरी
लेकिन मेरे भाई आज राजनीती का सबसे बड़ा हथियार ही बन गया है जज्बातों से खेलना. आपकी ऐसी सोच में हम भी आपके साथ है. ऐसे ही लगे रहो.
लेकिन मेरे भाई आज राजनीती का सबसे बड़ा हथियार ही बन गया है जज्बातों से खेलना. आपकी ऐसी सोच में हम भी आपके साथ है. ऐसे ही लगे रहो.
hello my frnd told me abt ur blogspot. ilike most hindu muslim its fantastic man
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