अनुभव जीवन का अबूझ, अनजान, अनसुलझा
नित नए एहसास खुशी, गम, असमंजस, दुविधा
पशोपेश में मन हर पल
क्या सही, क्या गलत
सुलझा अनसुलझा।
पहचान, प्रतिष्ठा, सम्मान, अपनापन
दूरी, नजदीकी, पाना, खोना
जीत, हार, वार, तकरार
द्वेष, प्यार, इज्जत, बदतमीजी
याद सब, फिर भूल कब।
उतार-चढाव, गिरना-संभलना
निरन्तर प्रगति तो क्यों न चलना
चल चल की मीलों चलना
नित नए शब्दों को गढना।
ये शब्द जीवन का शब्दकोष
जिन से जीवन का सार सारा
ये शब्द ही अनुभव की परिभाषा
इस परिभाषा में ही जीवन सारा।
Wednesday, April 29, 2009
Friday, April 17, 2009
मौन क्यों हैं हम
गरीबी, लाचारी बेबसी देखकर
मौन क्यों हैं हम
मजलूमों पर हो रहे जुल्मों-सितम देखकर
मौन क्यों हैं हम
रिश्तों में कम होती मिठास देखकर
मौन क्यों हैं हम
घरों के दरम्यां उठती दिवारों को देखकर
मौन क्यों हैं हम
मौन क्यों हैं हम
देश जलता देखकर
मौन क्यों हैं हम
जल रहा वजूद है अब
हम फिर भी मौन हैं
अगर मौन ही रहे तो
अब भूचाल आएगा
नष्ट होगा देश और समाज जाएगा
मौन तोड अब हमें जवाब देना है
मां, मातृभूमि को हिसाब देना है .....
मौन क्यों हैं हम
मजलूमों पर हो रहे जुल्मों-सितम देखकर
मौन क्यों हैं हम
रिश्तों में कम होती मिठास देखकर
मौन क्यों हैं हम
घरों के दरम्यां उठती दिवारों को देखकर
मौन क्यों हैं हम
अपने में मरता इंसान देखकर
मौन क्यों हैं हम
मौन क्यों हैं हम
देश जलता देखकर
मौन क्यों हैं हम
जल रहा वजूद है अब
हम फिर भी मौन हैं
अगर मौन ही रहे तो
अब भूचाल आएगा
नष्ट होगा देश और समाज जाएगा
मौन तोड अब हमें जवाब देना है
मां, मातृभूमि को हिसाब देना है .....
Friday, April 3, 2009
कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पर
कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पर
कुछ बिना मांगे मिलतें हैं
कुछ हम बनाते हैं।
कुछ रिश्तो में अजीब सी घुटन
साथ रहकर भी कोसों की दूरी
ऐसा जैसे नदी के दो किनारे
साथ-साथ चलतें हैं, मिलने को तरसते हैं
निभाते हैं ऐसे सजा हो जैसे
प्यार, विश्वास, ममता नही
खून के रिश्ते बेमानी से लगते हैं
लेकिन कुछ रिश्ते जीवन में खुशियां भरते हैं
ना खून का रिश्ता, ना भाषा का
ना धर्म एक, ना रीत-रिवाज
फिर भी उनका साथ कितना शुकून देता है
जहां सारे रिश्ते बैमानी लागतें है
वहीं कुछ रिश्ते ..............
कुछ बिना मांगे मिलतें हैं
कुछ हम बनाते हैं।
कुछ रिश्तो में अजीब सी घुटन
साथ रहकर भी कोसों की दूरी
ऐसा जैसे नदी के दो किनारे
साथ-साथ चलतें हैं, मिलने को तरसते हैं
निभाते हैं ऐसे सजा हो जैसे
प्यार, विश्वास, ममता नही
खून के रिश्ते बेमानी से लगते हैं
लेकिन कुछ रिश्ते जीवन में खुशियां भरते हैं
ना खून का रिश्ता, ना भाषा का
ना धर्म एक, ना रीत-रिवाज
फिर भी उनका साथ कितना शुकून देता है
जहां सारे रिश्ते बैमानी लागतें है
वहीं कुछ रिश्ते ..............
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