मौन क्यों हैं हम
मजलूमों पर हो रहे जुल्मों-सितम देखकर
मौन क्यों हैं हम
रिश्तों में कम होती मिठास देखकर
मौन क्यों हैं हम
घरों के दरम्यां उठती दिवारों को देखकर
मौन क्यों हैं हम
अपने में मरता इंसान देखकर
मौन क्यों हैं हम
मौन क्यों हैं हम
देश जलता देखकर
मौन क्यों हैं हम
जल रहा वजूद है अब
हम फिर भी मौन हैं
अगर मौन ही रहे तो
अब भूचाल आएगा
नष्ट होगा देश और समाज जाएगा
मौन तोड अब हमें जवाब देना है
मां, मातृभूमि को हिसाब देना है .....
4 comments:
Bahot ache!
मौन आज संकेत है परिवर्तन की आस।
उसी मौन की चीख से बदलेगा आकाश।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
gagar me sagar hai yah kavita....
bahut hi zabardast... :)
bhaiya mere blog par nahi aaye aap.. kafi din ho gaye... :(
:(
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