कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पर
कुछ बिना मांगे मिलतें हैं
कुछ हम बनाते हैं।
कुछ रिश्तो में अजीब सी घुटन
साथ रहकर भी कोसों की दूरी
ऐसा जैसे नदी के दो किनारे
साथ-साथ चलतें हैं, मिलने को तरसते हैं
निभाते हैं ऐसे सजा हो जैसे
प्यार, विश्वास, ममता नही
खून के रिश्ते बेमानी से लगते हैं
लेकिन कुछ रिश्ते जीवन में खुशियां भरते हैं
ना खून का रिश्ता, ना भाषा का
ना धर्म एक, ना रीत-रिवाज
फिर भी उनका साथ कितना शुकून देता है
जहां सारे रिश्ते बैमानी लागतें है
वहीं कुछ रिश्ते ..............
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
लेकिन कुछ रिश्ते जीवन में खुशियां भरते हैं
ना खून का रिश्ता, ना भाषा का
ना धर्म एक, ना रीत-रिवाज
फिर भी उनका साथ कितना शुकून देता है
जहां सारे रिश्ते बैमानी लागतें है
वहीं कुछ रिश्ते ..............
achchee bhaav abhivyakti hai
सही कहा ... बहुत सुंदर रचना।
Post a Comment