Saturday, June 7, 2008
कुछ उदयपुर के बारे मे
इस जगह की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। चारो ओर से अरावली की पाह्डियो से घिरा यह सहर, अमन और शान्ति का है। हालाकिं मुझे यहां की भाषा समझने मे थोडी कठनाई होती है। लेकिन इससे कोई खास फर्क नही पड़ता। लोग इतने प्यारे है कि सारी दिककते अपने आप दूर हो जाती है। खाने की क्या बात करे यहां के नटराज (खाने की दुकान) ने हम खाने के सहुकीनो का दिल जीत लिया। इतने प्यारे से खाना खिलाते है जयसे माँ खिलाती है। आबो -हवा के क्या कहने ठंडी-ठंडी हवा सुबह को रंगीन बनाती है। शाम को झीलों ( पिछोला, फतेह्सागर,दूध तलाई ) के किनारे बैठने का मजा ही कुछ और है। नीमच माता और करनी माता ने अपना आवास पहन्डियो के ऊपर बनाया है मन्दिर मे जा कर माँ का आशीर्वाद तो मिलता ही है सहर का बहुत खूबसूरत नजारा मिलता है आज तक के लिए बस इतना ही .............................
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1 comment:
itane pyare anubhavon ke bavjud vahan achcha nahi lag raha? majra kya hai?
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