Saturday, August 9, 2008

दोस्तों की याद













बचपन के खेल वो दोस्तों का साथ
बागों से आम, अमरूदों की चोरी
वो लुका-छुपी और छुवन-छुवाई
पेड़ों पे चढ़ने की शर्तें लगाना।

स्कूल को बंक करके मूवी को जाना
एक्जाम टाइम पे नकल की तैयारी
वो क्लास में खूब धूम मचाना
वो चीखना-चिल्लाना गाने गाना।

साथ बैठ कर, कुछ करके दिखाने की बातें
वो एमबीए, सिविल को करने की प्लानिंग
सपनों को हर हाल में सच करने की जिद
वो कामयाबी के लिए जी थोड मेहनत।

वो बैठक, हँसी और ठहाकों के दिन
रूठना- मानना, लड़इयो के दिन
गम और खुशी हर पल में शामिल
हर शैतानी और कामयाबी में शामिल ।

आज फिर से वो मुझको याद आ रहे
मेरे पलकों को नमी दे जा रहे
है दुवा की रहो सब सलामत सदा
और जिंदगी में रहे खुशियाँ सदा।

मेरे दोस्तों तुमको सलाम ...................

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