कुछ दिनों से बड़ा परेशान हूँ मैं
कुछ लिखना चाहता हूँ पर लिख नहीं पाता हूँ ।
सोचता हूँ पर सोच नही पाता हूँ
विचारों ने भी दामन छोड़ दिया है।
शब्दों ने आकार लेना बंद कर दिया है
ऐसा लगता है अभिव्यक्ति अब मुश्किल है।
बस संस्थान के निर्देशों पर इस कलम को चलाना है ।
आगे का जीवन कलम की दलाली करके बिताना है ।
सोचता हूँ छोड़ दूँ इस बंधुवा कलम को
लेकिन............................................
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3 comments:
सही तो चल रही है-अब क्या प्राण लोगे बेचारी कलम के. :)
ऐसे ही लिखा करें।
जब परेशानी में इतना अच्छा लिखेंगे तो ...
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