Thursday, August 14, 2008

अभिनव इंडिया, अनुपम इंडिया, अद्वितीय इंडिया

१०८ साल
बात वो बहुत पुरानी है।
आज ये नई कहानी है॥
साथ सारा देश है तेरे।
और सारी दुनिया दीवानी है॥

मिल्खासिंह और मल्लेस्वरी का रुदन है
और पीटी उषा का भी करुण क्रंदन है
सत्य, अहिंषा, संयम व सदभावना के संग
खुशियों से झूमते सारे देश का वंदन है

आतंकवाद के दौर में
अमरनाथ के शोर में
काल के कपाल पर
आँख की भी ताल पर

ये सुहानी रात है
इक नई सी बात है
झूमती है कामधेनु
जबरदस्त मात है

उड़ गया झू हो गया छू
सुनहरा हार है रूबरू
पल्झिनो का साथ है
क्या कमाल हाथ है।

हर तरफ है इक उमंग
बज रही है जलतरंग
बजा चीन में जन गन मन
नाच उठा है ये तन मन

जान ले ये बेखबर !
हाथ में है ये नजर!
खामोशी को चीर कर
आया है ये समर
जीत चुका है वो समर।

ऍम. आई जाहिर सर की कलम से ...........


2 comments:

Amit K Sagar said...

बहुत खुबसूरत. साधुवाद व् धन्यवाद. गंगा की तरह देश को अपवित्र चीज़ों से मुक्ति के रास्त निकाल आप पवित्र गंगा का मान रखने में सहयोग देंगे...येसी कामना व् शुभकामनायें.

रंजन राजन said...

अच्छा लिखा है। चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। लगातार लिखते रहें।