तेरी बातें बड़ी सुहानी
कभी सूनी न ऐसी कहानी
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी !
द्वरिका में राधा गोपी
घट घट घूमें वो तो जोगी
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी !
श्याम से उसने लगन लगाई
सब के मन में जोत जगाई
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी !
धड़कन बोले गिरधर-गिरधर
मन में शमाए कितने मंजर
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी !
ऐसी भक्ति, ऐसी पूजा
देखा नहीं है कोई दूजा
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी !
जप कर तेरे नाम की माला
रास का हाला विष का प्याला
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी !
दर्शन दर्शन अँखियाँ तरसे
गिरधर तेरी मेहर को तरसे
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी !
ज़ाहिर सर की कलम से
सृजन रात १२.२७ से १२.30
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